रविवार, फ़रवरी 21, 2016

क्या अब ज़िन्दगी कुलबुलाने लगी है?














इश्क़ की कलियाँ खिलने लगी हैं
ख़्वाबों की अखियाँ भरने लगी हैं  
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी संवरने लगी है?

हसरत के तारे जगमगाने लगे हैं
उमंगों को रौशन सजाने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी चमकने लगी है?

फूल और परिंदे भी थिरकने लगे हैं
नज़ारे ये दिलकश धड़कने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी गुनगुनाने लगी है?

आसमां में अरमां कई उड़ने लगे हैं
उम्मीदों के बादल मन भरने लगे हैं
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी है?

वादियों की धुन से प्यार होने लगा है
बहता ये नीर आत्मा भिगोने लगा है
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी समझाने लगी है?

बर्फीली हवाएं खूं में बहने लगी हैं
आग नसों में अब दहकने लगी है 
कोई मुझको भी तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी तड़पने लगी है?

चेहरे की चहक चहचहाने लगी है
उसकी ही कमी कसमसाने लगी है
कोई 'निर्जन' को तो बतलाओ
क्या अब ज़िन्दगी कुलबुलाने लगी है?

#तुषारराजरस्तोगी #प्यार #सपने #आरज़ू #कष्ट #विचार

Is it that, now the life is fidgeting?
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Love buds are beginning to bloom
Healing the dreamy eyes
Someone please let me know
Is it that, now the life is embellishing?

Stars of longing are beginning to twinkle
Lightning and decorating the emotions of passion
Someone please let me know
Is it that, now the life is shining?

Flowers and birds are beginning to jive
Entrancing views are palpitating
Someone please let me know
Is it that, now the life is humming?

Aspirations are now flying in the skies
Clouds of hopes are binding the soul
Someone please let me know
Is it that, now the life is smiling?

Falling in love with cadence of scenery
Running water moistens the soul
Someone please let me know
Is it that, now the life is explaining?

Winds of ardour are drifting in blood
Desire is now blazing in nerves
Someone please let me know
Is it that, now the life is agonizing?

Chirm of visage is now tweeting
Only her need is wriggling now
Someone please let 'Nirjan' know
Is it that, now the life is fidgeting?

#tusharrajrastogi #love #dreams #longing #agony #thoughts

शनिवार, फ़रवरी 13, 2016

तेरा इश्क़
















तेरा इश्क़, कमल का फूल है,
कोमल है, मगर अटल है।

तेरा इश्क़, वज्र की शक्ति है,
घातक है, मगर क्षम्य है।

तेरा इश्क़, रात का सपना है,
मृगतृष्णा है, मगर यथार्थ है।

तेरा इश्क़, ईश्वर का चुंबन है,
अदृश्य है, मगर प्रत्यक्ष है।

तेरा इश्क़, शिशु का सच है,
उद्दंड है, मगर विनम्र है।

तेरा इश्क़, जीवन का चलचित्र है,
कल्पना है, मगर ख़ूबसूरत है।

तेरा इश्क़, वादों का बंधन है,
अनुबंधित है, मगर शिथिल है।

तेरा इश्क़, आकांक्षा का संगम है,
विचार है, मगर मार्गदर्शक है।

तेरा इश्क़, 'निर्जन' की जुबां है,
ख़याल है, मगर सम्पूर्ण कविता है।

#तुषारराजरस्तोगी #इश्क़ #अभिव्यक्ति #कल्पना #निर्जन

Your Love
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Your Love, Is a Lotus Flower,
It's Tender, yet it's Firm.

Your Love, Is Power of Thunderbolt,
It's a Killer, yet it's Remissible.

Your Love, Is a Dream of Night,
It's a Grail, yet it's Real.

Your Love, Is Kiss of GOD,
It's Invisible, yet it's Evident.

Your Love, Is Truth of a Kid,
It's Impertinent, yet it's Humble.

Your Love, Is Movie of Life,
It's a Fairytale, yet it's Beautiful.

Your Love, Is a Bond of Promises,
It's Covenanted, yet it's Relaxed.

Your Love, Is Confluence of Intentions,
It's a Belief, yet it's a Cicerone.

Your Love, Is "Nirjan's" Language,
It's Abstract, yet it's Perfect Poem.

#tusharrajrastogi #love #expression #imaginativeness #nirjan

रविवार, जनवरी 17, 2016

सार्थक अर्थ















प्यार,

किसी ने पुछा मुझसे, क्या है प्यार?, किसे कहते हैं इश्क़?
क्या यह अच्छा है, या फिर, क्या यह बुरा है?
क्या यह ग़ज़ब का है, या फिर, क्या यह ख़राब है?
सच कहूँ तो, मालूम मुझे भी नही है
इसका क्या जवाब दूं, फिर भी,
अंततः जो समझा, बस इतना, कि
प्यार सभी भावनाओं में
सबसे सरल होकर भी
सबसे ज्यादा जटिल है

प्यार भावनापूर्ण सोच है
प्यार असामयिक भूख है
प्यार शुष्क प्यास है
प्यार मोह पाश है
प्यार अपरिमित व्यास है
प्यार असीमित व्योम है
प्यार करुनामय होम है
प्यार आसक्ति है
प्यार मुक्ति है
प्यार शक्ति है
प्यार भक्ति है
प्यार दयालु है
प्यार कठोर है
प्यार रसदार है
प्यार जीत है
प्यार हार है
प्यार अनोखा है
प्यार भयानक है
प्यार एक बीमारी है
प्यार एक इलाज है
प्यार एक व्यवहार है
प्यार बस प्यार है
प्यार दोस्ती है
प्यार बैर है
प्यार सार्थक है
प्यार व्यर्थ है
प्यार द्रोह है
प्यार विद्रोह है
प्यार मुश्किल है
प्यार सुखदायक है
प्यार शांतिदूत है

प्यार सच बुलवाता है
प्यार झूठ कहलाता है
प्यार सब समझाता है
प्यार सब उलझाता है
प्यार जीवन बनाता है
प्यार ज़िन्दगी ढहाता है
प्यार आँखें चमकाता है
प्यार कितना हंसाता है
प्यार उतना रुलाता है
प्यार दिल तोड़ जाता है
प्यार गले से लगाता है
प्यार दुनिया घुमाता है
प्यार नीचे गिराता है
प्यार मारा मारा फ़िराता है
प्यार श्रेष्ठता दर्शाता है
प्यार दुष्टता दर्शाता है
प्यार मुमकिन बनाता है
प्यार नामुमकिन बनाता है
प्यार में हर शय लायक है
प्यार में हर शय नालायक है
प्यार होशियार बनाता है
प्यार बेवक़ूफ़ बनाता है
प्यार ज्ञान बढ़ाता है
प्यार अंधा कर जाता है
प्यार प्रोत्साहित करता है
प्यार में डर लगता है
प्यार झगड़े बढ़ाता है
प्यार गले मिलवाता है

...और इस सब से ऊपर
प्यार हमेशा इसके लायक है, क्योंकि
प्यार बेहतर इंसान बनने की वजह है
जब भी आप किसी से प्यार करते हैं
तो फिर चाहे वो
बुरे वक़्त में साथ निभाने वाले दोस्त के लिए हो
अंत तक दिल की गहराई से चाहने वाले महबूब के लिए हो
बिना शर्त प्यार करने वाले अपनों के लिए हो, या
प्रभु के प्रति जटिल प्रेम भावना हो
वहां...इश्क़ करने के लिए कोई अर्थ नहीं होता
वहां चाहत का मतलब...सब कुछ होता है

कुछ फ़र्क नहीं पड़ता
प्रेम में कितना दर्द होता है
प्रेम में इंसान कितना रोता है
प्रेम आत्मपरीक्षण करता है
प्रेम आत्मविभाजन करता है
प्रेम सदा इसके योग्य है, क्योंकि
जो आपको मारता नहीं है,
वो आपको मज़बूत बनाता है
वक़्त बेशक़ कितना भी लग जाये
यदि आप प्यार के साथ जी रहे हैं, तो
आप एक बेहतर इंसान ही बनेंगे, क्योंकि
आप फिर गलतियाँ करने से
कोशिश करने से
चुनाव करने से
डरेंगे नहीं
और...सब से ऊपर
यदि आप किसी को चाहते हैं, तो
कोई फ़र्क नहीं पड़ता लोग क्या सोचते हैं
आप उसके लिए जान दे सकते हैं, लेकिन
आप उसके लिए, उसके साथ ज़िन्दगी जियेंगे भी
यही है...'निर्जन' के विचार से
चाहत, प्रेमभाव, मोहब्बत, पसंद, वफ़ा,
प्यार, वात्सल्य, प्रणय, सुभगता, प्रियतमा,
प्रीति, प्रेम, मुहब्बत, रुचि, स्नेह, इश्क़
...का सार्थक अर्थ...

#तुषारराजरस्तोगी #इश्क़ #प्यार #सार्थक #अर्थ #भावनाएं #सोच

शनिवार, जनवरी 09, 2016

हर लम्हा याद मैं करता हूँ



















बस यूँ ही बैठा-बैठा, अब
माज़ी को याद मैं, करता हूँ
गुज़रे दिनों की, यादों से
मैं आज भी, बातें करता हूँ

पुराने घर का, हर किस्सा
याद, आज फिर आता है
हिस्सा, एक उम्र का गुज़रा
जो अब ना, भूलने पाता है

फाटक का, वो दरवाज़ा
घर की याद, दिलाता है
गुज़रता हूँ, गली से जब
दिल मेरा, भर आता है

गुलिस्तां की, कलियों पर
फ़िदा दिल, हो जाता था
बड़े, दालान की रौनक़ में
दिल ये, खो जाता था

वो बारिश, जब भी होती थी
कोना-कोना, भीग जाता था
सौंधी मिटटी, की खुशबू से
आँगन वो, महक जाता था

सूरज भी, छिप छिप कर
अटखेलियां, करता था
किरणों के, झाँकने पर भी
कमरा आधा ही, भरता था

बड़ा कमरा था, बीचों बीच
याद बहुत वो, आता है
मेरी, शरारतों का नगमा
वो, हर्फ़े-हर्फ़ सुनाता है

कई रिश्तों की, दावतों का
अकेला ही, गवाह था वो
कई अपनों की, कहानी का
ख़ुदाया, ख़ैर-ख़्वाह था वो

बड़े कमरे के, भीतर ही
पाक एक कोठरी, भी थी
मेरे ख़ुदा से मेरी, रोज़ाना
जहाँ, गुफ़्तगू होती थी

उस बड़े घर के, बड़े दिल में
बड़ी सी, माँ की रसोई थी
जहाँ माँ ने मेरी, बड़े दिल से
अरमानो की लड़ी, पिरोई थी

बड़े ही चाव से, अम्मा वहां
लज़ीज़, अरमां पकाती थी
रूह भर जाती थी, अपनी
जब हाथों से, वो खिलाती थी

शाम को, छतों पर सब
मिलकर, पतंगें उड़ाते थे
कुछ पेंचे, लड़ाते थे
तो कुछ, आंखे भिड़ाते थे

अपनी तबियत, देख मलंग
पड़ोसन भी, शर्माती थी
चुपके से, झुकाकर नज़रें 
धीमे-धीमे, मुस्काती थी

छुट्टी के दिन, चौक में
क्रिकेट का मैच, होता था 
खेलना खेल, बहाना था
इश्क़ में, दिल कैच होता था 

खिड़की पर, खड़ी महबूबा
पोशीदा एक, राज़ होती थी
ना उड़ जाये, किल्ली अपनी
के बस वही, लाज होती थी 

हर एक मौसम, को चखना
दिल-ए-दस्तूर, होता था
हर ख़वाहिश, पूरी हो जाए
एक यही, फितूर होता था

हर मौके का, लुत्फ़ 'निर्जन'
मैंने तबियत से, उठाया था
हर एक मंज़र, चहकता था
पुराने घर का, सरमाया था 

उन बातें को, उन किस्सों को
आज भी, जी भर याद करता हूँ
बिछड़े आशियाने को अब भी
हर लम्हा याद मैं करता हूँ...

#तुषारराजरस्तोगी #लम्हे #यादें #बातें #पुरानाघर #अपनाघर

शनिवार, जनवरी 02, 2016

इमोशनल फूल













कुछ अपने हुए नामाकूल
टॉक्स हैं इनकी जैसे शूल
माइंड में मतलब की चूल
अक्ल से हैं ये बैल से लूल
करें प्यार का टैक्स वसूल

भाड़ में जाएँ नियम उसूल
अपनेपन की बात फ़िज़ूल
अपने अपनों को देते हूल
पराये अब लगते जो कूल
पैसा बन गया आज रसूल

हिस्ट्री-फ्यूचर में रहे हैं झूल
प्रेजेंट में ये करते है डरूल
हसरत इनकी उल जुलूल
'निर्जन' कहते हैं ये सब से   
नही हैं ये इमोशनल फूल

भैया अपन भी गए थे भूल
सब हैं अपने में ही मशगूल
चढ़ी आज जज्बातों पर धूल
जीवन जीने का नया ये रुल
प्रक्टिकैलिटी में है अनकूल

#तुषारराजरस्तोगी #प्रैक्टिकल #इमोशनल #फूल

गुरुवार, दिसंबर 31, 2015

फ़क़त शुक्रिया



















यह कविता मेरे उन मित्रों और मेरे अपनों को समर्पित है जिन्होंने मुझे प्रोत्साहन दिया, प्रेरणा दी, मेरी लेखनी को मान दिया, मुझे सम्मान दिया और मेरी रचनाओं को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। यह कविता मेरा तोहफ़ा है मेरे उन तमाम दोस्तों के नाम जिन्होंने मेरे ब्लॉग और फेसबुक पेज को पसंद किया है और जो निजी ज़िन्दगी में मेरे अच्छे बुरे वक़्त में किसी ना किसी रूप से मुझसे जुड़े रहे हैं। मैं आप सबका तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ, आभारी हूँ और दिल से आप सबका मान करता हूँ। मेरे इस साल को यादगार बनाने के लिए, मेरी ज़िन्दगी को जिंदादिल बनाने के लिए आपके समक्ष नतमस्तक हूँ और कामना करता हूँ जीवन में आगे भी आप सभी का प्रेम और मार्गदर्शन ऐसे ही मिलता रहेगा। एक दफ़ा फिर से सभी यारों को नवाज़िश, ज़र्रानवाज़ी और प्यार वाली झप्पी। मेरे सभी दोस्तों को नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनायें। आप सभी के लिए आने वाला साल मंगलमय हो। जय हो – हर हर महादेव...

कुछ अपनों ने निगाह-ए-उल्फ़त बरसाई है
उनका उपकार जिन्होंने जिंदगानी बनाई है

महज़ लफ़्ज़ों में अदा ना होगा उनका सवाब
हसीं ख़्वाबों की रात जिन्होंने हिस्से सजाई है

नजरें झुका कर बैठूँगा मैं बंदगी में उनकी
दामन में सितारों की झड़ी जिन्होंने लगाई है

अब तो होने लगा है अपने होने का गुमान
कद्रदां हैं, ज़हन में उम्मीद जिन्होंने जगाई है

कितनी मायूसी थी कभी इस किरदार में
स्नेह से अपने जिन्होंने हर कमी मिटाई है

रूठ कर जा रही थी ज़िन्दगी हर पल जैसे
हाथ थाम इसका जिन्होंने इसे घर लाई है

खिलखिलाती है ख़ुशी बेधड़क इन आँखों में
हाथ थाम मेरा जिन्होंने दुनिया नई दिखाई है

फ़क़त शुक्रिया अदा करे क्या ‘निर्जन’ उनका
हर पल दिल से जिन्होंने यह दोस्ती निभाई है

#तुषारराजरस्तोगी #शुक्रिया #नववर्ष #शुभकामनायें

शनिवार, दिसंबर 19, 2015

दारूबाज़ों की रीयूनियन
















यादगार एक शाम रही, बिछड़े यारों के नाम
करत-करत मज़ाक ही, हो गया सबका काम

हो गया सबका काम, पीने मयखाने पहुंचे
बाउंसर कि बातें सुन, 'निर्जन' हम चौंके

कहें सैंडल नहीं अलाउड, नो एंट्री है अन्दर
सोचा मन ही में भाई, बन गया तेरा बन्दर

पीने आए दारु, जूते-चप्पल पर क्या ध्यान
कोई तो समझाए लॉजिक, दे इनको ये ज्ञान

खैर मामला सुलट गया, हम पहुंच गए अन्दर
साबू-चोपू को देख, बन गए हम भी सिकंदर

गले मिले और बैठ गए, बातें कर के चार
अब दारु कब आएगी, ये होता रहा विचार

होता रहा विचार, लफंडर बाक़ी भी आएं
संग साथ सब बैठ, फिर से मौज उड़ाएं

पहुंचे जौहरी लाला, रित्ति-सुब्बू के साथ
पीछे से चोटी आया, हिलाते अपना हाथ 

रित्ति भाई शुरू हो गया, ले हाथ में साज़
फ़ोटू चकाचक चमकाई, ये है सेल्फीबाज़

विंक है फ़ॉरएवर प्नचुअल, बंडलबाज़ है यार
प्रिंटर-फाइटर को लाया, इन इम्पोर्टेड कार

दो घंटा लेट से आए, बाबुजी खासमख़ास
मेहता दानव आकृति, फुलऑन बकवास

फुलऑन बकवास, करते बाबाजी बड़बोले
गला तर कर सियाल ने, हिस्ट्री के पन्ने खोले

मित्रों नॉसटेलजीया फ़ीवर, चढ़ गया रातों रात
इतनी थीं करने को सबसे, खत्म ना होतीं बात

हा हा-ही ही-हू हू करते, बस बीती सारी शाम
यारों, दारु, चिकन, मटन और सुट्टों के नाम 

मज़ा आ गया कसम ख़ुदा की, २० बरस के बाद
दारुबाजों की रीयूनियन, रहेगी जीवन भर याद


--- तुषार रस्तोगी ---



शनिवार, दिसंबर 05, 2015

शायद वो सोचती है



















शायद वो सोचती है
मेरे हालात सुधर गए
अब क्या बताएं उसको
हम अंधेरों से घिर गए

ऐसी भी नहीं है बात कि
हौंसले अपने बिखर गए
वक़्त को मुताज़ाद देख
हम ख़ामोश कर गए

जब दिल में थे जज़्बात
तब अलफ़ाज़ नहीं थे
आज लफ्ज़ बेक़रार हैं
पर कोई साथ नहीं है

बात यूँ भी नहीं है कि
एहतराम अपने घट गए
दामन अपना देख कर 
हम ख़ुद ही सिमट गए

चन्दन का मैं नहीं था
दरख़्त फिर किस लिए
दोज़ख़ के दो मुंहे सांप
सब मुझसे ही लिपट गए

'निर्जन' गुफ़्तगू में उससे
अंदाज़ अपने सुलट गए
मासूम वो सोचती है मेरे
बेज़ारी के दिन पलट गए

मुताज़ाद - विपरीत / opposite
एहतराम - इज्ज़त / respect
दरख़्त - पेड़ / tree
दोज़ख़ - नरक / hell
बेज़ारी - बेसरोकार / to be sick of


#तुषारराजरस्तोगी

बुधवार, नवंबर 25, 2015

ज़रा अंजाम होने दो



















अभी तारे नहीं चमके
जवां ये शाम होने दो
लबों से जाम हटा लूँगा
बहक कर नाम होने दो

मुझे आबाद करने की
वजह तुम ढूंढती क्यों हो?
मैं बर्बाद ही बेहतर हूँ
नाम ये बेनाम रहने दो

अभी मानी नहीं है हार
मुझे अंगार पे चलने दो
मैं हर वादा निभाऊंगा
ज़िद्दी हालात संवारने दो

मेरा इमान है अनमोल
उन्हें अंदाज़ा लगाने दो
मैं ख़ुद को बेच डालूँगा
नीलामी दिल की होने दो

इब्तदा-ए-इश्क में तुम 
हौंसला क्यों हार बैठे हो
जीत लेगा तुम्हे 'निर्जन'
ज़रा अंजाम होने दो

#तुषारराजरस्तोगी

शुक्रवार, नवंबर 20, 2015

तेरा इश्क़


















तेरा आना ख़ुदा की रहमत है
तेरी बातें ज़िन्दगी की नेमत है

तेरा होना हर लम्हा त्यौहार है
तेरी मुस्कान जो मिलनसार है

तेरे क़दमों से घरोंदा पाक है
तेरी कमी से जीवन ख़ाक है

तेरा नखरा तो बजता साज़ है
तेरे दिल की सच्ची आवाज़ है

तेरा इश्क़ वो रूहानी दौलत है
'निर्जन' की जिस से शोहरत है

#तुषाररस्तोगी

सोमवार, अक्तूबर 05, 2015

गुलबन कर गया















रौशन चरागों को मेरा नसीब कर गया
ख़ुदा शायद मुझे ख़ुशनसीब कर गया

मंज़िलों के रास्ते मेरे आसान कर गया
हर एक मरासिम वो मेरे नाम कर गया

ज़र्रा-ज़र्रा महक उठा जिसकी ख़ुशबू से
है कौन जो शामों को सरनाम कर गया

बहक रहा हूं अब भी मैं अरमानों में तर 
वो फ़रिश्ता नज़रों से दिल में उतर गया

सजा कर राह में 'निर्जन' गुंचा-ए-ग़ुलाब
मेरा दिलबर मेरी राहें गुलबन कर गया

मरासिम - रिश्ते / Relations
गुलबन - ग़ुलाब की झाड़ी / Rosebush

#तुषारराजरस्तोगी

गुरुवार, अक्तूबर 01, 2015

प्यार और सासें

वो कभी भी दिल से दूर नहीं रहा, ज़रा भी नहीं। बमुश्किल ही कोई ऐसा दिन बीता होगा जब उसकी याद में खोई ना रही हो। झुंझलाहट, बड़बड़ाना, अपने से बतियाना, अपनी ही बात पर ख़ुद से तर्क-वितर्क करना, अपने विचारों और भावनाओं पर नियंत्रण खो देना, खुद को चुनौती देना, अपने मतभेद और दूरी के साथ संघर्ष करना, सही सोचते-सोचते अपने विचार से फिर जाना, आत्म-संदेह करना और अपने चिरकालिक अनाड़ीपन में फ़िर से खो जाना - आजकल यही सब तो होता दिखाई देने लग गया था आराधना के रोज़मर्रा जीवन की उठा-पटक में।

इस दूरी ने दोनों के इश्क़ में एक ठहराव ला दिया था। उनका प्यार समय की तलवार पर खरा उतरने को बेक़रार था। प्रेम का जुनून पहले की बनिज़बत कहीं ज्यादा मज़बूत और सच्चा हो गया था। हर एक गुज़ारते लम्हात के साथ उनके अपनेपन का नूर निखरता ही जा रहा था।

वो दिन जब दोनों के बीच बातचीत का कोई मुक़म्मल ज़रिया क़ायम नहीं हो पाता था, उस वक्फे में वो अपने दिल को समझाने में बिता देती और पुरानी यादों में खो जाया करती और अपने आपसे कहती, "एक ना एक दिन तो हमारी मुलाक़ात ज़रूर होगी।" - फिर जितनी भी दफ़ा राज, आराधना की यादों से होकर उसके दिल तक पहुँचता उसे महसूस होता कि उस एक पल उसकी आत्मा अपनी साँसों को थामे बेसब्री से उसके इंतज़ार में बाहें फैलाए खड़ी है।

वो अपनी आत्मा को सांत्वना देते हुए उस अदृश्य ड़ोर का हवाला देती जो उन दोनों को आपस में जोड़ता है और उसके सपनो में दोनों को एक साथ बांधे रखता है। वो याद करती है उन मुलाकातों और बरसात के पलों को जिसमें उनका इश्क़ परवान चढ़ा था और दोनों एक दुसरे के हो गए थे। वो विचार करती है कि शायद राज भी अपने अकेलेपन में यही सब सोचता होगा या फिर क्या वो भी उसके बारे में ही सोचता होगा? असल में, वो इन सब बातों को लेकर ज़रा भी निश्चित नहीं थी। यह भी तो हो सकता है वो उसकी इन भावनाओं से एकदम बेख़बर हो और मन में उठते विचार बस संकेत मात्र हों क्योंकि वो शायद वही देख और सोच रही थी जो वो अपने जीवन में होता देखना चाहती थी। पर कहीं ना कहीं उसे विश्वास था कि राज भी उसे उतना ही चाहता है जितना वो उसके प्रति आकर्षित है और दीवानों की तरह उसे चाहती है। बस इतने दिनों से दोनों को कोई मौका नहीं मिल पा रहा  था अपनी बात को स्पष्ट रूप से एक दुसरे तक पहुँचाने का।

उसे सच में ज़रा भी इल्म ना था कि आख़िर क्यों वो राज के लिए ऐसी भावनाएं दिल में सजाए रखती है, जो उनकी पहली मुलाक़ात के बाद से ही उत्पन्न होनी शुरू हो गईं थी और जिन्होंने उसके दिल पर ना जाने कैसा जादू कर दिया था। उसका दिल अब उसके बस से बाहर था, ऐसा जैसे अचानक ही ह्रदय का कोई कोना इस सब के इंतज़ार में था और उसे पहले से ज्ञात था कि ज़िन्दगी में कहीं ना कहीं, किसी ना किसी मोड़ पर यह सिलसिला आरम्भ ज़रूर होगा। जो बात वो कभी सपने में भी नहीं सोचती थी आज, सच्चाई बन उसकी नज़रों के सामने थी और उसके हठीले स्वभाव पर मुस्कुरा रही थी। ऐसे समय में, उसके पास इन पलों को स्वीकारने के सिवा कोई और विकल्प नहीं था।

वास्तव में कहें तो उसे बस इतना मालूम था कि अब उसकी असल जगह राज के दिल में ही है, और उसने अपनी मधुर मुस्कान और मनोभावी प्रवृत्ति से उसके मन को मोह लिया है और वो दोनों के दिलों का आपस में जुड़ाव महसूस कर सकती थी क्योंकि आज उन दोनों के बीच की छोटी से छोटी बात भी उसे ख़ुशी प्रदान करती है और वो दोनों जब भी साथ होते, उस समय बहुत ही ख़ुशहाल रहा करते थे।

वो दोनों हर मायनो में एक दुसरे की सादगी, सीरत, खुश्मिजाज़ी, मन की सुन्दरता पर मोहित हो गए थे और निरंतर रूप से एक दुसरे के प्रति आकर्षित और मंत्रमुग्ध थे। आज वो मंजिल आ गई थी जब दोनों के लिए इश्क़ सांस लेने जैसा हो गया था।

फिलहाल तो दोनों की ज़िंदगियाँ इस एक लम्हे में रुक गईं है आगे देखते हैं ज़िन्दगी कैसे और क्या-क्या रंग बिखेरती है और दोनों के प्यार की गहराई किस मक़ाम तक पहुँचती है। 

#तुषारराजरस्तोगी