शुक्रवार, अक्तूबर 05, 2012

मेरा बिस्तर

एक परित्यक्त और एकांत अजीरा
बन गया है बिस्तर मेरा
जो कभी क्रीड़ास्थल था
आज बन्दी गृह बन गया है मेरा
बाध्य हो गया हूँ मैं
तुम्हारे सान्निध्य से
या की तुम्हारे अभाव से

अब अकेला ही पसरा हूँ
अपने ख्यालों के साथ
संवेदिक स्मरणशक्ति
प्रयत्न करती है
तुम्हे फिर जिलाने को
अवयव उलझे,
कुंचित, आश्वासक हैं
शायद मैं भी धीरे धीरे
खो जाऊं निद्रा में
और खो जाऊं
महत्वाकांशी स्वप्न नगरी में
वापस तुम्हारे पास...
सज़ा ये है की नींद छीन ली दोनों की आँखों से
खता ये है की हम दोनों ने मिलकर ख़वाब देखा था...

कोई न आया

दिल की दरी पर
गुज़र गई सियाह रात
नज़रों की मचान पर
भटकते रहे बीते साये
मेरे दामन में कोई
सितारे भरने नहीं आया
मेरी उलझी जिन्दगी को
कोई समझने नहीं आया
कितने मौसम बीत गए
कितने त्यौहार चले गए
मेरे जज़्बात की मुंडेरों पर
कोई लौ न रोशन करने आया ...

मैं

मैं अपने दिल का राजा हूँ
मेरी अपनी रवानी है
भले जज़्बात हों न हूँ
फिर भी एक कहानी है
बात इतनी सी है के बस
दिल में आग है मेरे
और आँखों में पानी है...

मुझे

मुझे हर ज़ख्म को मुस्कान से सीना नहीं आया
मैं मरना चाहता था पर मुझे जीना नहीं आया
मेरी और तेरी जिंदगी में बस फर्क इतना है
मुझे कहना नहीं आया तुझे सुनना नहीं आया...

समझा रहा हूँ तुझे

मेरा जज्बाती तजुर्बा है बतला रहा हूँ तुझे
वो जो दिल खो गया था जब, अब दिखला रहा हूँ तुझे
बिछड के अब, दोनों से जिया जाये कैसे ?
जो कभी खुद ही न समझा, क्यों समझा रहा हूँ तुझे ??

मंगलवार, अक्तूबर 02, 2012

अभी भी संभल जा ऐ दिल मेरे

अभी भी संभल जा ऐ दिल मेरे
उसको याद न कर जिसने आना नहीं
उसके आने की तू आस न कर
तेरा दर्द जिसने मिटाना नहीं
थपेड़े खा न तू उन तूफानों के
दिल में प्यार जिन्होंने जगाना नहीं
न कर बर्बाद इन्तेज़ार के पलों को अपने
उसने तेरे दिल का कुंडा खडकाना नहीं
जिसे याद करता है ये मेरा दिल
उसने कभी पास आना नहीं
अभी भी संभल जा ऐ दिल मेरे...

अंजाम

मेरे सर पर मुहब्बत करने का इलज़ाम होता है
भरी दुनिया में मेरा इश्क ही बदनाम होता है
मेरे दिल में तेरी यादों का एक दीवान होता है
ज़माने भर में मेरा चर्चा बस अब आम होता है
बा-इज्ज़त मेरा मारना भी न बर्दाश्त होता है
जो मुझको प्यार करता है वही सरनाम होता है
मुहब्बत ये सोच कर की थी के जीतूंगा मैं बाज़ी पर
मुझे खुद को नहीं मालूम क्यों दिल नाकाम होता है
जिंदगी दिन-बा-दिन मेरी बिगड़ती जा रही है पर
तेरे से बात करके दिन में कुछ आराम होता है
भरोसा था मुझे जिनपर धोखा दे गए वो ही
अब विश्वास का मेरे यही अंजाम होता है ...

Deep down in my heart I'm still dying to give

There once was a day I dying to live
That same day I was dying to breathe
Deep down in my heart I'm still dying to give
In that same way I'd die to receive

There are many things that we'd like to possess
But that one thing we all want is love
Everyone has that someone they'd love to impress
And I've learned that love comes with a shove

It takes you by surprise and explodes upon impact
Then it blasts you straight off to cloud nine
That thing you once doubted you accept as a fact
In your world all the stars will align

And this warm vibrant feeling you're dying to find
Now you search for that key to your heart
You don't know where to look and you're feeling so blind
Maybe they've been quite close from the start

We're all dying to have that one person to hold
That one star to come down from the sky
You've been searching for something more precious then gold
Maybe that one true love is nearby

I'm in too deep...

You're not with me,
You're my demise
But with these eyes
I can finally see…

You can't deceive,
I still believe
In demon kings
And fairy wings,
In all these little things…

Dragging me down,
Pull me into the ocean
So I will drown…
Down, down, down…

I need someone to rely on,
A shoulder I can cry on,
But they're all just cheap,
And I'm in too deep...

Do I Love You ?

When I’m not talking to you,
I’m thinking of you.

When you’re away,
I’m hurting inside for you.

Heart sinking,
Belly aching,
Mind numbing,
Hurt for you.

Do I miss you ?


When I’m talking to you,
I’m thinking of us.

When you’re with me I come alive.

Heart beating,
Belly flying,
Mind racing,
Alive for you.

Do I love you?

शुक्रवार, सितंबर 14, 2012

ख्वाबों में कहीं

खोया रहा मैं,
सवालों में कहीं
गुम हूँ मैं,
आसमानो में कहीं
सैकड़ों कारवां गुज़र  गए
निगाहों से मेरी
पर डूबा रहा मैं
ख्वाबों में कहीं

ख्वाहिशों का सैलाब कुछ और ही था
जब उम्मीदों का दिया रोशन था
करवाटो में ही पलट गया हो
कई सदियों का फासला कहीं
सैकड़ों कारवां गुज़र  गए
निगाहों से मेरी
पर डूबा रहा मैं
ख्वाबों में कहीं

खुद को पाने की जूस्तजू में 'निर्जन'
निकला था इस सफ़र पे मैं 
लौट ना पाया अब तक मुसाफिर
खोया रहा बीती यादों में कहीं
सैकड़ों कारवां गुज़र  गए
निगाहों से मेरी
पर डूबा रहा मैं
ख्वाबों में कहीं