बुधवार, जुलाई 06, 2011

कोई था

कोई था कभी जो कहता था के अगर याद आये तो आधी रात को भी बेजिझक याद कर लेना | आज याद आई तो वोह भी आँख चुरा कर निकल लिया | कन्नी काट ली उसने भी | हो सकता है उसकी भी कोई मजबूरी रही होगी जो अब उसे भी याद नहीं आती | शिकवा और शिकायत मुझे किसी से नहीं है, शायद इतने बुरे दिन हैं अपने के कोई अब याद करना भी नहीं चाहता | ज़िन्दगी भी न जाने क्या क्या खेल दिखाती है | कभी आकाश का कभी पाताल का नज़ारा करवाती है | कभी ऐसा वक़्त था जब चारो तरफ चहल पहल हुआ करती थी | रोनाकें हुआ करती थी | आज वीरान खालीपन है चारों तरफ | चार दीवारों के बीच ज़िन्दगी बेजान है | ऐसा लगता है जैसे मैं भी मेज़ और कुर्सी की तरह बेजान, कमरे में हूँ और उन चार दीवारी से बातें कर रहा हूँ | अकेलापन और मायूसी से ऐसा नाता जुड़ गया है | चरों ओर का सन्नाटा काट खाने को दौड़ता है | शायद बुरा वक़्त इस को कहते हैं जब कोई साथ नहीं होता | सुना था के बुरे वक़्त में साया भी साथ छोर जाता है पर मुझे इतना तो इत्मिनान है के बस एक मेरा साया ही है आज जो मेरे साथ है | यह वक़्त भी गुज़र जायेगा और मुझे उम्मीद है के एक नई किरण लेकर कभी तो आएगा | इसी उम्मीद के साथ जी रहा हूँ | उस नई सूरज की किरण का इंतज़ार है शायद कभी तो ऐसी सुबह आएगी जो अपने साथ खुशियाँ और प्यार की बरसात से मेरे आंगन को भिगो जाएगी | बस एक इसी उम्मीद के साथ ज़िन्दगी जिए जा रहा हूँ और इस अकेलेपन के अज़ाब को पिए जा रहा हूँ | अगर कहीं खुदा है तो वोह इस इल्तेजा को ज़रूर सुनेगा और मुझपर अपने स्नेह की बरसात ज़रूर करेगा | काश कभी तो वोह पुराने दिन लौट कर आयेंगे | हाँ ज़रूर आयेंगे | मेरा दिल कहता है मेरे से के तू अपने पर भरोसा रख और ज़िन्दगी को जिए जा जिए जा जिए जा |

मंगलवार, जुलाई 05, 2011

You Taught Me

Just sitting idle and was enjoying reading some poetry. There i came across this poem full of romance and emotions. Rather than i should say some true and very rare emotions that are not found in today's world. I hope that it will make you think about your thinking about love too...

I wanted a mansion once... that is until I met you,
Now the only place I want to live is inside your heart
I once desired diamonds... until I met you,
Now the only sparkle I need comes from within
I used to crave the finest clothing... until I met you,
Now I want not a single thread to separate our bodies
I once coveted a fancy car... until I met you,
Now I want nothing that would put miles between us
I once prayed for money... until I met you,
Now I want none of the things money can buy
I once yearned for a sense of security... until I met you,
Now my only security comes is knowing you are near
I once dreamt of a prestigious job... until I met you,
Now I find my success in knowing that you are happy
I once asked for the world on a silver platter... until I met you,
Now you are my world and I want for nothing but your touch
Loving you has been my teacher; you taught me not to want
Being with you has been my discovery; you are all that I need
Finding you has been my salvation, I now understand grateful
But perhaps of most importantly...
Your love in return has been my everything

- Teresa Weimer -

अब वो नहीं है साथ मेरे

दिल धड़कता था जिसके नाम से
अब वो नहीं है साथ मेरे
सांसें चलती थी जिसके दम से 
अब वो नहीं है साथ मेरे
आँखें चमकती थी जिसके नूर से 
अब वो नहीं है साथ मेरे 
ज़िन्दगी जिंदा दिल थी जिसकी रूमानियत से
अब वो नहीं है साथ मेरे 
कुछ तो ऐसा हुआ जो 
आज कोई नहीं है साथ मेरे 
बस इस बात से डरता है दिल 
कभीं ज़िन्दगी यूँ ही खाख न हो जाये 
और कोई न हो साथ मेरे....

मंगलवार, जून 28, 2011

काश ऐसा भी तो हो

काश ऐसा भी तो हो
पूर्णिमा की रात हो
परियों की बारात हो
समंदर का साहिल हो 
और तू आए
कभी ऐसा भी तो हो

काश ऐसा भी तो हो
यह सर्द हवाएं 
जब तेरे घर से गुजरें 
तेरी खुशबु चुराएं 
और मेरे घर ले आयें 
काश ऐसा भी तो हो 

काश ऐसा भी तो हो 
सुहाना एक मंज़र हो 
दूर दूर तक वादियाँ हों 
कोई न मेरे साथ हो 
और तू आए 
काश ऐसा भी तो हो 

काश ऐसा भी तो हो
ये मेघा ऐसे गरज के बरसे 
मेरे दिल की तरह मिलने को 
तेरा दिल भी तो तरसे 
तू निकले अपने घर से
और मेरे घर तक आए
काश ऐसा भी तो हो 

काश ऐसा भी तो हो 
तन्हाई हो और तुम हम हों 
दो दिल हों और दो लब हों 
बूँदें गिरें बरसात भी हो 
और तू आए 
काश ऐसा भी तो हो 

काश ऐसा भी तो हो
मेरे घर का आँगन हो 
तेरी पायल की छम छम हो 
ठंडी हवा के झोंके सी 
तेरी मीठी बातें हों 
काश ऐसा भी तो हो 

काश ऐसा भी तो हो 
जैसा मैंने सोचा है
सपनो की इस दुनिया में 
तुझको आते देखा है
तू भी सपने बुनती हो 
और सपनो में मुझको चुनती हो 
काश ऐसा भी तो हो 
काश ऐसा भी तो हो ....

वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के

वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका
शब्-ए-तन्हाई में वो याद आई
तो दिल इज़्तिराब से मचल उठा [ इज़्तिराब - restlessness]
सिर्फ चंद लम्हे मिले थे मुझे 
और मैं वो अलफ़ाज़ न कह सका 
वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका

ज़ख्म ज़िन्दगी ने जितने दिए 
भुला दिए चंद रोज़ में 
वो आई जब दर पर मेरे
हाल-ए-दिल को पूछने
दिन ज़िन्दगी के तब से मैंने 
नाम उसके कर दिए
वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका

वक़्त गुज़ारा था जो उसके साथ 
हसीन खवाब सा लगने लगा
लम्हे यूँ ही गुज़र जायेंगे
ऐसा तो सोचा न था 
एक पल ऐसा भी आया
जब उसने बिछडने की बात की
मैंने भी ख़ामोशी से 
मुस्करा के बात टाल दी 
वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका

पर बात उसकी सच ही थी 
कुछ ही पल में वो 
मुझसे बिछड गई 
लेकिन मेरे दिल-ए-बेचैन मैं 
अपनी सुन्दर यादें छोड़ गई 
न चाहा था कभी उसकी 
आँखों में अश्क देखूंगा 
पर उस रोज़ वोह भी 
कम्बक्त छलक ही गए 
उस रोज की ख़ामोशी
एक ख्वाब बन कर रह गई 
वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका

गर मालूम होता मुझे 
ज़िन्दगी ऐसी बेवफा होगी 
तू मिलकर भी जुदा होगी 
और हसरतें यूँ फनाह होंगी 
ग़म-ए-दोराह पर 
मुलाकात भी होगी कभी 
ऐसा कभी सोचा न था 
बस यही अफ़सोस है दिल में 'निर्जन' 
वो जज़्बात जो थे मेरे दिल के 
न वो सुन सकी 
न मैं कह सका

रविवार, जून 12, 2011

अब मेरे पास तुम आई हो तो क्या आई हो?



अब मेरे पास तुम आई हो तो क्या आई हो?
मैने माना के तुम इक पैकर-ए-रानाई हो
चमन-ए-दहर में रूह-ए-चमन आराई हो
तलत-ए-मेहर हो फ़िरदौस की बरनाई हो
बिन्त-ए-महताब हो गर्दूं से उतर आई हो
मुझसे मिलने में अब अंदेशा-ए-रुसवाई है
मैने खुद अपने किये की ये सज़ा पाई है
[ पैकर-ए-रानाई : paradigm of beauty; चमन-ए-दहर : garden of earth; रूह-ए-चमन आराई : soul of beautified garden; तलत-ए-मेहर : Prayer of Sun; फ़िरदौस की बरनाई : paradise’s youthfulness; बिन्त-ए-महताब : daughter of moon; गर्दूं : heavens; अंदेशा-ए-रुसवाई : possibility of humiliation ]

ख़ाक में आह मिलाई है जवानी मैने
शोलाज़ारों में जलाई है जवानी मैने
शहर-ए-ख़ूबां में गंवाई है जवानी मैने
ख़्वाबगाहों में गंवाई है जवानी मैने
हुस्न ने जब भी इनायत की नज़र ड़ाली है
मेरे पैमान-ए-मोहब्बत ने सिपर ड़ाली है

[ शोलाज़ारों – flaming lamentations शहर-ए-ख़ूबां – city of beauty ख़्वाबगाहों – bedrooms ]


उन दिनों मुझ पे क़यामत का जुनूं तारी था
सर पे सरशारी-ओ-इशरत का जुनूं तारी था
माहपारों से मोहब्बत का जुनूं तारी था
शहरयारों से रक़ाबत का जुनूं तारी था
एक बिस्तर-ए-मखमल-ओ-संजाब थी दुनिया मेरी
एक रंगीन-ओ-हसीं ख्वाब थी दुनिया मेरी

[ जुनूं – passion;सरशारी-ओ-इशरत : satisfaction and happiness; माहपारों: moon-faced; शहरयारों : friends of the city; रक़ाबत : animosity; एक बिस्तर-ए-मखमल-ओ-संजाब: bed of velvet and fur ]


क्या सुनोगी मेरी मजरूह जवानी की पुकार
मेरी फ़रियाद-ए-जिगरदोज़ मेरा नाला-ए-ज़ार
शिद्दत-ए-कर्ब में ड़ूबी हुई मेरी गुफ़्तार
मै के खुद अपने मज़ाक़-ए-तरब आगीं का शिकार
वो गुदाज़-ए-दिल-ए-मरहूम कहां से लाऊँ
अब मै वो जज़्बा-ए-मासूम कहां से लाऊँ

[ मजरूह : wounded;फ़रियाद-ए-जिगरदोज़- my heart’s lamentations; नाला-ए-ज़ार : song of tears; शिद्दत-ए-कर्ब : acute grief; गुफ़्तार – conversations; गुदाज़-ए-दिल-ए-मरहूम :tenderness of a heart which died ]

शुक्रवार, जून 10, 2011

माँ

निदा फाज़ली साब की यह ग़ज़ल मुझे बहुत पसंद है | इसे मैं अपनी माँ के नाम समर्पित करता हूँ और निदा फाज़ली साब जैसे शायर कोई सलाम करता हूँ |

बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ,
याद आती है चौका-बासन, चिमटा फुँकनी जैसी माँ ।
बाँस की खुर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे,
आधी सोई आधी जागी थकी दुपहरी जैसी माँ ।
चिड़ियों के चहकार में गूँजे राधा-मोहन अली-अली,
मुर्गे की आवाज़ से खुलती, घर की कुंड़ी जैसी माँ ।
बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी-थोड़ी सी सब में,
दिन भर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी मां ।
बाँट के अपना चेहरा, माथा, आँखें जाने कहाँ गई,
फटे पुराने इक अलबम में चंचल लड़की जैसी माँ ।

गुरुवार, जून 09, 2011

आज एक बाज़ार लगा देखा मैंने

इस कविता के पीछे एक छोटी सी कहानी है | एक दिन जब मैं व्यायाम शाला से घर वापस लौट रहा था | अचानक मेरी नज़र एक ठेले वाले पर पड़ी | वो आम बेच रहा था | ऊँचे दाम और डंडी मार तोल | दोनों तरीकों से पैसे बटोर रहा था | फिर भी लोग मक्खी की तरह उसके ठेले पर भिनभिना रहे थे | वहीँ करीब में एक छोटा सा बच्चा फटे चिथड़ों में खड़ा बेबस और ललचाई आँखों से आमों को देख रहा था | सोच रहा था के शायद कोई उसे भी कुछ दे दे | पर कोई भी इंसान उसकी तरफ़ नज़र घुमाने तक को तयार नहीं था | उसकी उस हालत को देख और उसकी आँखों में उमड़ती भावनाओं को पढ़ मेरा मन विचलित हो उठा | मैंने आगे बढ़ कर दो आम खरीद कर उसे खाने को दे दिए | आमों को देख उसके चेहरे पर आई मुस्कान ने मेरा ह्रदय गद गद कर दिया | घर आकर मैंने इस कविता की कुछ पंक्तियाँ लिखने का प्रयत्न किया और जो प्रत्यक्ष देखा और महसूस किया वो शब्दों में पिरो दिया | आशा करता हूँ आपको मेरी यह कोशिश पसंद आएगी |

आज एक बाज़ार लगा देखा मैंने 
जम कर हो रहा था व्यापार 
बेच रहे थे बेबाक बेधड़क 
झूठ, सच, भूख, आइयाशी
साथ में थे 
दिल, जान, जिस्म और इमान
ढेर लगा था चापलूसी का 
भ्रष्टाचार पड़ा था सीना तान
भीड़ ऐसी लदी पड़ी थी 
जैसे फ्री मिल रहा हो जजमान
जिसको देखो चीख चीख कर 
कर रहा था गुणगान
इन चीजों के सौदे लेकर 
हर एक बन फिर रहा था धनवान 
आज एक बाज़ार लगा देखा मैंने 
जम के हो रहा था व्यापार 

बाजु वाले ठेले पर भी 
कुछ बेच रहा था एक इंसान 
सीधा साधा भोला भला 
शायद थे उसके भी कुछ अरमान 
प्यार, वफ़ादारी, सपने थे 
या कुछ उमीदें थी अनजान 
कुछ बेजुबान अफसाने भी थे 
और भी न जाने क्या क्या था सामान 
शराफत से आवाज़ लगा के 
कहता ले लो जी श्रीमान 
पर कोई ग्राहक ना आया 
और न बिकता उसका सामान 
लगता था इमानदार है, बेचारा 
जितना बोलता उतना तोलता 
पर कोई चवन्नी भी न देता 
अगर मिल भी जाती तो यह ज़हर खा लेता 
गला फाडेगा बस दिन भर खाली 
और खायेगा लोगों की गाली 
न बिकेगा कभी इसका सामान 
आज एक बाज़ार लगा देखा मैंने 
जम के हो रहा था व्यापार 

मैं दूर से ताड़ रहा था 
ज़िन्दगी का यह अजब तमाशा 
बेईमानी, चोरी, चालाकी, भ्रष्टाचार
घूसखोरी, झूठ, सच, भूख, आइयाशी
और इन जैसे कई और आइटम भी
बिक रहे थे जिंदाबाद
भाव रहे थे छु आसमान 
वहीँ पास में 
हो रही थी किसी की ज़िन्दगी वीरान
दम तोड़ते पड़े थे ठेले पर 
शराफत, सपने और अरमान
प्यार, मोहब्बत, ईमानदारी भी 
आखरी सासें ले रहे थे 
थे दाने दाने को मोहताज
आज एक बाज़ार लगा देखा मैंने 
जम के हो रहा था व्यापार

मेरे जीवन की एक और ऐसी शाम

मेरे जीवन की एक और ऐसी शाम 
खालीपन और साथ में, मैं हूँ 
और नहीं है हाथ में जाम
कल फ़िर से जीवन वैसा होगा 
आँख मलकर सुबह होगी 
कमरा, घर, दफ्तर का काम
टीवी, कंप्यूटर और दोस्त यार
फसबूक, याहू और पचड़े हज़ार 
रुपया, पैसा और रिश्तेदार 
जीवन है एक झंझट यार 
जीना है बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी
क्या है मोहब्बत और कैसा प्यार 
हर लम्हा जीना दुश्वार 
हुई रात जगमग फ़िर यार 
दीखते  तारे, चंदा अम्बर पार 
रोज़ रात का वही तमाशा 
तुम फ़िर आये सपनो में यार 
सपना बन दिल पर छा जाते 
मिलने कब आओगे यार 
छु लूं  तुम को जी भर कर मैं 
कितने प्यारे हो तुम यार 
एक बार तुम आ जाओ ना
दिल करता है मिलने को यार 
मेरे जीवन की एक और ऐसी शाम
खालीपन और साथ में, मैं हूँ 
और नहीं है हाथ में जाम......

मंगलवार, जून 07, 2011

She - The Source of all inspirations in my life :)

One day i just thought of writing something for her. So just gave it a thought and scribbled something for her. Hope she will like it. I don't know if i am wrong or right but whatever i have written is just from the depth of my heart and its mixed with all those feeling that i felt after she told me the truth. I can't define her in words rather i must say that there are no more words in the dictionary that can define her and her love but just can try by saying this much that she is simply and truly lovable, admirable, angelic, charismatic, inviting, darling, appealing, presentable, flattering, delicious, dreamy, heavenly, lucious, sexy, suave, fascinating, incredible, marvelous, irresistable, prodigious, alluring, classy, delicate, attractive, alarming, graceful, beauteous, gorgeous, pretty, glamorous, devoted, seductive, emotional, skillful, provocative, smart, enchanting, delightful, homely, enjoyable, passionate, rare, subtle, soft, affectionate, respectable, tempting, stunning, astonishing, breathtaking, impressive, magnificent, mind-blowing, wonderful, lovely, pleasing, awesome, ravishing, sentimental, tasty, wondrous, tender, winning, pulchritudinous, cherishing, magnetizing, pleasant, nice, wild, sublime, lusty, worshiped, pleasing, delightful, amazing, adorable, honest, healthy, tolerable, patienceful, splendid, ideal, statuesque, wonderful, .....!!! human personality i would ever know on this earth...don't know what else to write here so ..... the words are less but not the least so that's it for now :)

She is kind
The only angel i can find
She is bold
With that 'Goddess' soul
She is hot
Like a volcanic pot
She is cold
Like those antarctic icey molds 
She is sweet
Like the choclates i eat
She is sour
Like an old wine i love to pour
She has all the salt
That makes me love her without any fault
She is pure addiction
That i can't cure
She has all the beauty
That love can hold
She has all the colors
A rainbow can show
She has all the love
That it needs to grow
She has all the notes
A song can sing
She has all the depth
An ocean can bring
The prettiest feeling
Ever on earth is loving She
The softest cushion
You feel is She
She makes life like
Starry skies with shining moon
Dipped in She's
Shining mesmerizing eyes
The warm tug
Here and there you feel
The power to do and
The power to heel
She becomes
The desire to live
She becomes
The desire to give
The most passionate
Feeling ever on earth
Is the desire to give
And the desire to love you She ?
So 'Love Me' but
With Sincerity, Devotion and Purity
Be your love stand by you and shine
Always remaining
Honest, True and Divine...

Maybe i can't speak this much when she is in front of me and stay speechless but in my scribbles can say a lot more than i can even dream of with open eyes. I can't say anything else now. This just concludes my day for today :)

सोमवार, जून 06, 2011

कभी सोचना

ज़िन्दगी से कभी कुछ 
चाहा  क्यों नहीं 
कभी सोचना 

जो भी जिसको भी चाहा 
कभी मिला क्यों नहीं 
कभी सोचना 

ख्वाइशें और अरमान 
दफ़न हो कर क्यों रह गए 
कभी सोचना

माँगा था तुझे ज़िन्दगी में 
तू मुझे मिली क्यों नहीं 
कभी सोचना 

न चाहते हुए भी
क्यों किसी और के हो गए
कभी सोचना

मेरी आँखें रहती हैं नम 
क्यों तेरे सामने आते ही
कभी सोचना 

अपने माज़ी  की यादें
क्यों ग़मगीन करती हैं 
कभी सोचना 

सितम्ख्वार तो बहुत हैं मगर 
क्यों हुआ मुझ पर ही सितम 
कभी सोचना 

हर वक़्त लम्बा इंतज़ार है 
क्यों अब इन लम्हों में रह नहीं सकता 
कभी सोचना 

रातों को नींद में 
क्यों तेरे ख्वाबों में जी नहीं सकता 
कभी सोचना 

प्यार तो दोनों ने किया था
क्यों मुझे ही मिली सजा 
कभी सोचना

ज़िन्दगी से कभी कुछ 
चाहा क्यों नहीं 
कभी सोचना

जो भी जिसको भी चाहा
कभी मिला क्यों नहीं 
कभी सोचना

किसी से प्यार न करना तू

दिल कहता है मेरा कबसे
किसी से प्यार न करना तू
समझाऊं कैसे तुझको

तरस न जाये तू कहीं
मंजिल-ए-वफ़ा  के लिए
तू अपि आहों में भी
सिला-ए-वफ़ा न पायेगा
हर शक्स हंसेगा तुझपर
जिसे भी तू
ज़ख्म-ए-फवाद सुनाएगा
दिल कहता है मेरा कब से
किसी से प्यार न करना तू
समझाऊं कैसे तुझको

न उठेंगे
फिर तेरे हाथ
महफ़िल-ए-यार में
इज़हार-ए-इश्क के लिए
न उम्मीद-ए-वफ़ा
तलाश कर तू
इस ज़माने में
दिल नहीं पत्थर
बसते हैं
इन वीरानो में
वोह देंगे सिर्फ
सितम और जफ़ाएं तुझको
दिल कहता है मेरा कब से
किसी से प्यार न करना तू
समझाऊं कैसे तुझको

इस दुनिया में
ज़ालिम लोग बसते हैं
यहाँ मोहब्बत के लिए
सच्चे दिल तरसते हैं
आब-ए-तल्ख़ से
लबरेज़ हैं निगाहें तेरी
सितम हज़ार मिलेंगे
वफाओं को तेरी
दिल कहता है मेरा कब से
किसी से प्यार न करना तू
समझाऊं कैसे तुझको