सोमवार, मार्च 28, 2011

मोहब्बत

उस दिन रो रो कर कहा उसने
मुझे तुमसे मोहब्बत है 'निर्जन'
जो मोहब्बत ही करनी थी
तो फिर इतना रोये क्यों ??

सोमवार, मार्च 14, 2011

धडकन

यादों में न ढूँढ मुझे 
मैं तेरे दिल की गहराईयों में मिल जाऊंगा 
जो तमन्ना हो अगर मिलने की
तो ज़रा हाथ रख सीने पर 
महसूस करेगी तो तेरी धडकनों में मिल जाऊंगा ...

शाम

हर एक शाम आती है तेरी यादें लेकर 
हर एक रात जाती है तेरी यादें देकर
उस शाम की अब भी तालाश है मुझे
जो शायद आये तुझे अपने साथ लेकर ... 

सफ़र

मंज़िल कितनी है दूर अभी,
लम्बा मेरा सफ़र बहुत है
उस मासूम दिल को मेरे,
देखो तो मेरी फ़िक्र बहुत है
जान ले लेती तन्हाई मेरी,
सोचा मैंने इस पर बहुत है
सलामत है वजूद 'निर्जन',
उनकी दुआ में असर बहुत है...

--- तुषार राज रस्तोगी ---

एक दोस्त








आज फिर आँख क्यों भरी सी है
एक अदद दोस्त की कमी सी है

शाम-ए-ज़िन्दगी फिर ढली सी है
ख़लिश ये दिल में फिर बढ़ी सी है

तेरी ख्वाहिश दिल में जगी सी है
एक आग ख्वाहिशों में लगी सी है

कभी किसी रोज़ तो बहारें आएँगी
साथ अपने हज़ार खुशियाँ लायेंगी

बस ये सोच आँख अभी लगी सी है
सपनो में मुझे ज़िन्दगी मिली सी है

आज फिर आँख क्यों भरी सी है
एक अदद दोस्त की कमी सी है

--- तुषार राज रस्तोगी ---

उसकी यादें














ए मौज-ऐ-हवा अब तू ही बता
वो दिलदार हमारा कैसा है ?

जो भूल गया हमको कब से
वो जान से प्यारा कैसा है ?

क्या उसके चहकते लम्हों में
कोई लम्हा मेरा भी होता है ?

क्या उसकी चमकती आँखों में
मेरी याद का सागर बहता है ?

क्या वो भी मेरी तरहां यूँ ही
शब् भर जागा करता है ?

क्या वो भी साए-ए-रहमत में
मुझे रब से माँगा करता है ?

गर ऐसा नहीं तो तू ही बता
दिल याद उसे क्यों करता है ?

वो बिन तेरे जो खुश है अगर 
फिर 'निर्जन' हर पल क्यों मरता है ?